हिंदी कहानियां - भाग 181
हमें मिलना ही था...
हमें मिलना ही था... आपको शायद मेरी प्रेम कहानी बहुत फिल्मी लगे पर यही सच है मेरी प्रेम कहानी का। मैंने उनको कभी नहीं देखा था, न ही कभी विदेश जाने का सपना देखा था। मै तो बस आगे पड़ना चाहती थी पर माँ पापा मेरी शादी करवाना चाहते थे एक दिन मैंने भी गुस्से में आकर कह दिया कि अगर आप लोग मुझ से इतने ही परेशान हो तो कर दो मेरी शादी। लेकिन इंडिया में नहीं कही और जहां में आप लोगों से कभी न मिल सकूं। बस मेरा हां कहना था कि अगले ही दिन हमारे घर एक बुआजी मेरा रिश्ता लेकर आ गईं वो भी विदेश से। मैंने भी गुस्से में हां कर दी लड़के के बारे में बिना कुछ जाने बिना कुछ देखे और तो और मैंने फोटो देखना भी ठीक नहीं समझा। मां पापा ने बात आगे बढ़ाई तो पता लगा लड़का डॉक्टर है हॉलैंड में। अगले हफ्ते लड़के वालों का फोन आ गया। मन बहुत डर रहा था कि एक तो लड़का डॉक्टर, मेरे से बिलकुल अलग। मैं तो पत्रकारिता की डॉक्टर थी और वो दिमाग का दोनों का कही भी मेल नहीं था ऊपर से बिना देखे हां कर दी थी। ये भी न सोचा था कि वो काला-गोरा या फिर लंगड़ा लूला तो नहीं है पर अब क्या? अब तो ओखली में सिर दे ही दिया था तो मुसलों से क्या डरना था। मैंने फोन पर पहले लड़के कि मां से बात की, फिर लड़के से। जब उसने पहली बार फोन पर हेलो बोला तो जैसे मुझे अपने वशीभूत ही कर लिया। आगे उसने क्या कहा मैंने सुना ही नहीं, उसकी आवाज़ सुनते ही जैसे मेरे मन का डर कही छूमंतर हो गया और मुझे उसी समये उस से प्यार हो गया। फिर छह महीने तक हम दोनों में सिर्फ फोन पर ही बाते हुआ करती थी या फिर ईमेल लेकिन हम दोनों ने अभी तक एक दूसरे को देखा नहीं था। मई में वो अपने भाई के साथ इंडिया आए तब हमरी सगाई की तारीख पक्की हो गई थी। तब सगाई से एक दिन पहले मैंने उन्हें देखा पर शर्म और संकोच के मारे मुंह से कुछ बोल नहीं निकल रहे थे। वो जैसे मेरे मन की बात तब समझ गए थे इसलिए पहले मेरे भाई से बात की फिर मुझ से। उस एक फोन की बात से जो हमारा प्यार का सिलसिला शुरू हुआ वह आज हमारी शादी के दस साल हो जाने पर भी कायम है आज हमरी दो प्यारी बेटियां हैं और आज भी हम एक दूसरे कि बात बिना कहे समझ जाते है। शायद हम दोनों का जन्मदिन भी एक ही दिन है नो फरवरी इस लिए अभी तक हम ये ही मानते है कि शायद भगवान् ने हमे एक ही दिन दो अलग-अलग देशो में पैदा करके भी एक साथ रहने के लिए बनाया है। हां और जो मां पापा से दूर जाने कि बात कही थी वो सच हो गई अब में मां-पापा से कभी कभी ही मिल पाती हुं......... लेकिन पति और ससुराल से इतना प्यार मिला है कि मां-पापा कि कमी ज्यादा खलती नहीं है।